Or
Create Account l Forgot Password?
कविताअतुकांत कविता
दिन अब जल्दी ढल रहा.... रात लम्बी हो रही। तैयार हो जाओ तन्हाई मे जीने वालों... दर्द और तन्हाई की रात लम्बी हो रही । रात की खामोशी हमें घेर रही। तन्हाई हमारा साथ छोड़ नहीं रही। क्या कहूँ यारों .... रात लम्बी हो रही।