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करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह

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रास्ते सबके लिए
खुले रहें दिन रात
आते जाते लोग पर
जुदा सबके जज्बात
कोई रोटी की फ़िक्र ले
पग से नापे हर रोज
कोई वाहनों पे सवार हो
करे जलवा अफरोज
कोई दायित्वों की पूर्ति में
इनको करता रोज साफ
कोई इन पर घूमकर देता
ग्राहकों को हर दिन हांक
चिंता सबकी जुदा जुदा
मगर सफर की एक माप
कोई लक्ष्य भेदके इतराए
कोई दुख से करे विलाप
ईश्वर ने सबके लिए तय
कर रखे प्रारब्ध औ भोग
भुगतने के लिए रचा गया
भू लोक का अजब प्रयोग
ईश्वर में रख आस्था करते
रहिए भूमिकाओं का निर्वाह
उनकी कृपा से ही हिट होती
अधूरी कहानी भी चलते राह

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