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प्रभु राम नाम का अवलंब - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

प्रभु राम नाम का अवलंब

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बिना कहे ही सब कुछ
मिले,मांगे मिले न भीख
जग में मनुष्य उस रूप में
दिखें जैसा चाहे जगदीश
सबकी ही अपनी मान्यता
अलग अलग हो विश्वास
जैसी ईश्वर की इच्छा हो
वैसा मिले सबको प्रकाश
कहीं धूप, कहीं छांव का
भी खेल चलता चहुंओर
ईश्वर की कृपा से समझ
सके मनु प्रारब्ध का जोर
सो आजीवन पकड़े रहिए
प्रभु राम नाम का अवलंब
उनकी कृपा से सब काम
बनें, बाधाएं छंटें अविलंब

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