कवितागजल
तेरी नज़रों की तपिश से हमारा दिल ये जले।
रहना चाहूँ, जाने मैं क्यूँ, तेरी पलकों के तले।। तेरी नज़रों की--------------
तू मेरी पहली मोहब्बत, मेरी ख्वाहिश है शनम।
तपती हुई रेत पे, पहली सी इक बारिश है शनम।
मेरे ख्वाबों में तेरी सांसों की, खुशबू है चले।
रहना चाहूँ, जाने मैं क्यूँ, तेरी पलकों के तले।। तेरी नज़रों की--------------
यूँ मुझे छोड़ के जाने का, इरादा था तेरा।
कैसा फिर साथ निभाने का, वादा था तेरा।
था ख्वाब इतना की उम्र अपनी, साथ-साथ ढले।
रहना चाहूँ, जाने मैं क्यूँ, तेरी पलकों के तले।। तेरी नज़रों की--------------
प्यार के बदले तुमसे प्यार नही मांगा था।
शरण मांगी थी, तिरस्कार नही मांगा था।
मेरी दुवा तेरी खुशी है, तू खुशियों में पले।
रहना चाहूँ, जाने मैं क्यूँ, तेरी पलकों के तले।। तेरी नज़रों की---------------
तू ये कहती थी, न छोड़ेगी साथ ऐ हमदम।
बता क्यों तोड़ दिया दिल जो, निकला ये दम।
मेरी दुवा है आज तेरी हर बलाएँ टले।
रहना चाहूँ, जाने मैं क्यूँ, तेरी पलकों के तले।। तेरी नज़रों की---------------
लेखिका- शालिनी राय
आज़मगढ़