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"ईमान आदमी का" - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

"ईमान आदमी का"

  • 130
  • 1 Min Read

ईमान है आदमी का*

हयात है कि बशर समंदर में मुसलसल तलातुम का आना
ईमान है आदमी का खुदको अतफ़ाक़ा तूफानों से बचाना

डॉ.एन.आर. कस्वाँ
"बशर/१२/१०/२०२३"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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