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शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध

  • 39
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एक का है उजला बदन
दूसरे का बिल्कुल स्याह
पहले को सत्य कहे जग
दूजे को मानता अफवाह
सुगम, सहज सबके लिए
सदा जग में सत्य की राह
जो इसका अवलंबन करे
वो सबसे बड़ा शहंशाह
सत्य को विचलित नहीं
कर सके आंधी या तूफां
हर परिस्थिति में एक सा
रहा उसका नाम निशान
जिन तथ्यों में सत्य का
सर्वथा होता है अभाव
जगत उसे ही मानता है
सदा थोथा या अफवाह
सियासत के शकुनियों ने
फैलाया अफवाहों का धुंध
ताकि वो समाज को बांटके
कर सकें मनमानी स्वच्छंद
जागरूक नागरिक बनकर
कीजै सत्य का सदा प्रचार
अपुष्ट तथ्यों को दोनों हाथ
जोड़ कीजै दूर से नमस्कार

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