Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मानवीय संवेदना बनी रहे - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कविताभजनगीत

मानवीय संवेदना बनी रहे

  • 39
  • 3 Min Read

वादा कर आराधना का
जग में आए सब प्राणी
भव सागर के जाल में
उलझ कर रहे मनमानी
हे प्रभु मुझको दीजिए
अपनी कृपा दिन, रात
हर पल सन्मति,सद्पंथ
की दीजै सुखद सौगात
मानवीय संवेदना बनी
रहे मानस में हर पल
आपके चरणों में लगा
रहे बुद्धि, विवेक, बल
लव स्टोरी इंपोसिबल
भले मानें सब मनुष्य
तव चरण कमल में ही
निहित है हमारा भविष्य
पग पग पे मिलते विविध
रूप धर कालनेमि अनेक
उनकी कुटिलता का आप
कर सकते समूल विच्छेद

IMG_20230916_104040320_HDR_1696076610.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg