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*आदमी नामकी शय* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*आदमी नामकी शय*

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*आदमी नामकी शय*

आदमी से वाबस्ता नहीं आदमी सब शय हैं यहाँ नामकी शय
आदमी ही समझता है आदमी को बे-मसरफ़ बेकाम की शय
सिर्फ़ इक आदमी ही मग़र है बशर आदमी के काम की शय
हर-सू चाहिए आदमी को हर कदम पर आदमी नाम की शय

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/२५/सरी

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