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जन मन में हो उत्कट चाह - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

जन मन में हो उत्कट चाह

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जन मानस तक पहुंचे
मेरे संदेशों का निष्कर्ष
उनके मन को करें वो
सब शिद्दत से ही स्पर्श
लोकतंत्र में कायम रहे
जन जन का विश्वास
नियम कानूनों के प्रति
हो धनात्मक अहसास
एक दूजे के मान सम्मान
का रखें सभी सदा ख्याल
भरे समाज में मन से करें
सभी सच का इस्तकबाल
नकारात्मकता का तनिक
भी कहीं दिखे ना प्रभाव
सभी लोग समझ बूझकर
लाएं क्षेत्र में सही बदलाव
खुशहाली और विकास की
जन मन में हो उत्कट चाह
तभी सब परस्पर मिलकर
ढ़ूंढ़ सकेंगे समृद्धि की राह
हे प्रभु देश के लोगों के मन
में भरिए समतायुक्त विचार
एक दूजे के अहसासों को
समझ करें वो सही व्यवहार

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