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हंसी का फव्वारा - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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हंसी का फव्वारा

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हा हा हा , हंसी का फव्वारा

जहाँ में ना कोई आंसू बहाए
हरा भरा हो मधुबन सभीका
हर ओठ पे ही ख़ुशी मांगते हैं

दुनिया हमारी है ही दर्दीली
और जीवन की राहें भी आँसू
भरी हैं।ऐसे में कांटों भरी राहों को मुस्कानों के फूलों से गुलज़ार करना होता है। सुना है चार्ली चैपलिन ने घर में गमी होने के बावजूद लोगो को हंसाना नहीं छोड़ा।
अमूमन लोग समय बिताने के लिए टी वी पर भी हल्के फुल्के हंसी मज़ाक वाले शोज़ देखना पसन्द करते हैं।
शायद इसीलिए तारक मेहता का उलटा चश्मा अभी तक धाक जमाए हुए है।
समाज घर-परिवार में भी
हंसने हंसाने वालों को पसन्द किया जाता है। गुमसुम रहने वाली सुमड़ी बहु भी अच्छी नहीं लगती ,चाहे वो कितनी भी लायक हो। हाँ हँसमुख निठल्ली भी सबका दिल जीत लेती है।
खुशियां छोटी मोटी बातों में भी ढूंढ़ी जा सकती है।आधा ग्लास पानी किसी के लिए आधा भरा व किसी के लिए आधा खाली हो सकता है।
खुशियां ढूंढनी पड़ती हैं।होली पर अचानक कोई हमें रंग मल देता है।दो विकल्प हैं,,,हो हल्ला करते शामिल हो जाएंगे या गुस्से में लाल पीले हो जाएंगे।
अगर खुश नहीँ हो पाते तो कोई भी बहाना ढूंढ़िए। बैठ जाइए बालकनी में खेलते हुए बच्चों की चुहलबाजियां ठहाका लगाने को मज़बूर कर देगी। छुट्टियों में अपने बच्चों के साथ एक बार खेल कर तो देखिए।जाने अनजाने की गई
चीटिंग या बच्चों के द्वारा सुनाए जोक्स,,,हमे अवश्य खिलखिला देंगे।
घर व कार्यस्थल पर स्वभाव में खुशमिजाजी के जलवे देखते ही बनते हैं।मुरझाए चेहरों की बजाय फूलों सी
खिलखिलाहट ही पसन्द की जाती है।
निरोग मन व काया के लिए हंसी रामबाण औषधि हैं।जोर जोर से हंसने से नसों व मांसपेशियों की कसरत हो जाती और मन भी खुश।
अब जरा हंस भी लीजिए,,,
नजाकत तो उनपे खत्म होती है
जो ये फ़रमाते हैं
हलवा खाते ओठ छिले जाते
हैं
और पोहे में सजे हरे धनिए से
जनाब
नजले जुक़ाम के शिकार हो जाते हैं
ओ के जी
हंसिए और हंसाते रहिए
सरला मेहता

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

वाह

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