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चार दिनों का है तू तो बशर मेहमान यहाँ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

चार दिनों का है तू तो बशर मेहमान यहाँ

  • 47
  • 1 Min Read

किस चीज़ का है तुझे ग़ुरूर -ओ- गुमान यहाँ
बस चार दिनों का है तू तो बशर मेहमान यहाँ

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०८/३१

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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