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कवितानज़्म
माना कि भूल जाता हूँ अक्सर मैं खुदही अपने आप को हरगिज़ मग़र बशर भूल सकता नहीं अपने मां -बाप को © डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" २०२३/०८/२८