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...वक़्त.. - Kumarikirtee Amritaasha (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

...वक़्त..

  • 108
  • 2 Min Read

मुझे उम्मीद है ये लम्हा भी गुज़र जायेगा ये सितम भी ढल जायेगा..
ये जो है दोहरे चेहरे
कई रंगों मे रंगे..
थोड़ा सब्र तो करो..
सही वक़्त आने दो..
इनका असली रंग सामने आएगा..
जो हॅसते है अभी नाकामयाबी पर...
एक दिन मैं अपना वक़्त ऐसा लाऊंगी
की यही लोग मेरी कामयाबी पर तलियाँ बजायेंगे..
मेरी मेहनत मेरी कामयाबी को जरूर लाएगी..
हाँ...
मुझे उम्मीद है ये लम्हा भी गुज़र जायेगा ये सितम भी ढल जाये....
-kirtee अमृता

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