Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
टूट गया अभिमान चांद का - JAI PRAKASH SRIVASTAV (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

टूट गया अभिमान चांद का

  • 224
  • 3 Min Read

टूटा अभिमान चांद का
*********************
टूट गया अभिमान चांद का।
ये भारत चांद पर उतर गया।
अपनी सुन्दरता पर इतराते।
उस चांद का भांडा फूट गया।
अब कोई बच्चा न मचलेगा।
मां से चन्द्र खिलौना लेने को ।
अब ये कोई प्रेमी नहीं कहेगा।
मेरी चन्द्र मुखी महबूबा हो ।
धन्य ये भारत देश हुआ अब।
धन्य हुए इस देश के विज्ञानी।
आखिर दिखला डाला सबको।
मैं भी कुछ हूं इस धरती पट पर।
मैं हूं, सब कुछ कर सकता हूं।
आ जाऊं जो मैं अपने पर तो।
सूरज पर भी चढ़ सकता हूं।
मुझको यदि ललकारेगा कोई।
तो सागर को मथ सकता है ।
सौ बार नमन प्यारे देश तुम्हें।
नमन तुम्हारी इस क्षमता को ।
जय प्रकाश श्रीवास्तव" पूनम "

IMG_20230802_110620_1692937922.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg