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इंद्रदेव की बेरुखी - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

इंद्रदेव की बेरुखी

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इंद्रदेव की बेरुखी से बहुत
मायूस अधिसंख्य किसान
कम वर्षा से चौपट होने की
कगार पे खेतों में रोपा धान
सूखे का ही संकेत दे रहे हैं
मेघों के अधिपति इंद्रदेव
इधर दर्श दिखाकर गुम हो
जा रहे मेघों के समूह सदैव
दुख को आमंत्रण दे रहा है
मौसम का मौजूदा मिजाज
धरतीपुत्रों के माथे पर दिख
रही हैं चिंता की लकीरें आज
आदिदेव महादेव से विनती
दोऊ कर जोड़कर करे उमेश
सर्व हितकारी देवाधिदेव प्रभु
हरो धरतीपुत्रों के सब क्लेश

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