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सुधार आगे के लिए परिवेश - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

सुधार आगे के लिए परिवेश

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अतीत की बातें हर व्यक्ति
समाज को करती हैं सचेत
देती गलतियों को समझ आगे
की दिशा तय करने का संकेत
प्रगति के लिए बहुत जरूरी है
हम सही कार्ययोजना करें तय
इसके बगैर नहीं हो सकता है
किसी भी समाज का अभ्युदय
पूरे मनोयोग और निष्ठा से करें
हम लक्ष्य हासिल करने के यत्न
तभी समाज और देश में कायम
रहेगा परस्पर विश्वास और अमन
विकासशील देशों में संसाधनों
का अक्सर होता है बहुत अभाव
एक अनार, सौ बीमार वाली दशा
का हर तरफ दिखता गहरा प्रभाव
संसाधनों पर कब्जे के लिए यहां
आम लोगों में होती है खींचतान
संघर्ष और तनाव की घटनाएं
यहां सुर्खियां बना जाती तमाम
शिक्षा और रोजगार ही देता है
हर समाज को शांति की गारंटी
सही योजनाओं से खाली रहती
है विकासशील देशों की अंटी
ऐसे में वहां कदम कदम पर जब
तब होते रहते हैं संघर्ष औ तनाव
ऐसी घटनाओं से खत्म हो जाता
है समाज में भाईचारे का भाव
जो अतीत को लेकर सदैव बस
होते रहते हैं मानस से परेशान
कभी नहीं हो सकता उनका
सर्वांगीण विकास या उत्थान
वेदों और पुराणों ने हमें सदैव
यही दिया एक सार्थक संदेश
बीती ताहि बिसार औ सप्रयत्न
सुधार आगे के लिए परिवेश

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