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कवितानज़्म
दिल को दुखाने की बशर तू न बात कर आदमी से न दूर अपनी आदमजात कर उन का तो है ही येह धंधा सियासत का हवाले किसी के ना अपनी औक़ात कर ©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" 13/08/2023