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कवितानज़्म
दुआएं उम्र ए दराज़ होने की न मांग के जीना मुहाल हो जाए जिस्म भी साथ तिरा न दे बशर और जान ही ना निकल पाए डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर