Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
कौन सका है बखान - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

कौन सका है बखान

  • 91
  • 2 Min Read

मैं तुम्हारा हूं कहना
होता बड़ा आसान
जिम्मेदारी निर्वाह में
विचलित होते इंसान
मनसा,वाचा,कर्मणा
जो रहते सदा साथ
कर्म और व्यवहार में
दृष्टिगोचर हों जज्बात
आत्मीय संबंधों को होती
नहीं है शब्दों की दरकार
हाव,भाव, भंगिमा से ही
प्रकट हो जाता है प्यार
लाख शब्दों पे भारी पड़ता
सदा कर्तव्य परायण मौन
मां बाप की भूमिका को इस
जग में कौन सका है बखान

IMG_20230604_102126231_HDR_1691054706.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg