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ईश्वर की कृपा - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

ईश्वर की कृपा

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सपने ही हर मनुष्य को
रखते हैं सदैव गतिमान
सपनों की पूर्ति को उद्यम
करता भरसक हर इंसान
कुछ सपने हरेक के हो
जाते जीवन में साकार
कुछ लाख प्रयत्न के बाद
भी लेते नहीं मूर्त आकार
जब दुनिया के प्रपंचों से
इंसान हो जाता है निराश
तब वह लेता ईश्वर शरण
चाहता शांति का प्रकाश
ईश्वर की कृपा से मिलती
हर व्यक्ति को सही राह
पूरी होती है सदैव कातर
दिल से निकली हर चाह
हर सपने में मेरे परमात्मा
मुझे देते रहें निज आशीष
मानव कल्याण में निरत
रहूं मैं, जग में उन्नत शीश

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