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न्याय के लिए,,, - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

न्याय के लिए,,,

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न्याय के लिए ही जारी
है पूरी दुनिया में संघर्ष
बलशाली अपनी जीत
पर सतत मना रहे हर्ष
जश्न मनाने वालों को
को निज बल पे गुमान
न्याय हाशिए पर पड़ा
पाने को सही सम्मान
दुनियाभर में शांति को
बने जितने भी संस्थान
उन पर भी काबिज हुए
धन, बाहुबल के कद्रदान
ऐसे में फिर वंचितों को
मिले कहां से सही न्याय
शोषण के पाटों में पिसना
ही उनकी नियति कहलाए

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