कवितागीत
मुस्कुराने की वजह मिले
तब जब कृपा करें श्रीराम
उनकी इच्छा बगैर संभव
नहीं जग में कोई भी काम
जड़, जंगम औ जीव सबके
कण कण में वो विद्यमान
पूरी दुनिया याचक सदृश
बस वो ही एक दयानिधान
हे प्रभु करना कृपा जीवन
में सतत रहूं मैं क्रियाशील
मन, वाणी और कर्म से भी
बना रहूं विनम्र और सुशील