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सियासत में - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

सियासत में

  • 212
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सियासत में झूठ का
होता है परचम बुलंद
ऐसे में जन हित छोड़
नेता सब हुए स्वच्छंद
जब तक जन जन में
चेतना की रहेगी कमी
तब तक भ्रष्टाचारियों
की मुट्ठियां रहेंगी तनीं
हे ईश्वर मेरे देश के लोगों
को देना इतना सामर्थ्य
निज कल्याण की खातिर
करें नेताओं से तर्क वितर्क

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