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ख़ुदा का अपना कोई मज़हब नहीं है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ख़ुदा का अपना कोई मज़हब नहीं है

  • 116
  • 3 Min Read

ये के हर इन्सान के अपने मज़हब हैं
इन्सानियत का कोई मज़हब नहीं है

इन्सान में जब तब कुछ हैवानियत है
हैवानियत का कोई मज़हब नहीं है

इन्सान में प्यार मोहब्बत ओ इश्क़ है
इश्क़ का अपना कोई मज़हब नहीं है

इश्क़ में रूमानियत ओ रूहानियत है
रूहानियत का कोई मज़हब नहीं है

हर मज़हब की अपनी हि कैफ़ियत है
कैफ़ियत का कोई भी मज़हब नहीं है

हक़ीक़त सच है सच की हैसियत है
खुद हक़ीक़त का कोई मज़हब नहीं है

मज़हब का अपना मुख़्तलिफ खुदा है
ख़ुदा का अपना कोई मज़हब नहीं है

©️✍️ #बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:15/7/2023

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Dr. N. R. Kaswan

Dr. N. R. Kaswan 1 year ago

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