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कवितानज़्म
करना ही क्या पड़ता है यहाँ पर जमाने में जीने के लिए बस मुसलसल कड़ी मेहनत करनी पड़ती है मरने के लिए ! उम्र ए तमाम गुज़र जाती है मशक़्क़त में मश्ग़ूल रहकर वक़्त मिलता ही कहाँ है बशर जिंदगी को संवरने के लिए ! ©️✍️ #बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey: 12/7/2023