कवितानज़्म
नैया आज आदमी की
तैरती तूफ़ान पर है!
दरिया सब सूख गये
नाले उफान पर हैं!
ब्योपारी बाज़ार गया
चोर दूकान पर है!
पड़ौसी के पड़ौसी की
नज़र मकान पर है!
सैय्याद है जमीन पर
शिकार मचान पर है!
लगता है कायनात अब
आख़री मुकाम पर है!
©️✍️ #बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:9/7/2023