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कविताअतुकांत कविता
फ़कीरों सा अंदाज अल्हड़ ओरों से जुदा रखता हूँ, ***** जरूरत नहीं मन्दिर-शिवालेे जाने की ख़ुद्दार हूँ, दिल में ही खुद़ा रखता हूँ, ****** दरो-दीवार अहसानों की गवारा नहीं हमें सजदे में संजीदगी की अदा रखता हूँ II ***** कुलदीप दहिया " मरजाणा दीप"