कवितालयबद्ध कविता
सच्चा प्यार
नयनों का नशा तेरा,
मैंने ऑंखों से पी लिया।
मत होना नाराज़ प्रिये,
तेरे नशे में मैं जी लिया।।
तू चाहे बेवफ़ा हो जा,
तेरी यादों से मैं जी लुंगा।
जब टूटने लगेंगी सांसे,
मैं फ़िर से सांसे सी लुंगा।।
प्यार किया है तुमसे,
सौदे की कोई बात नहीं।
मांगा है रब से दिल तेरा,
जिस्म की कोई चाह नहीं।।
ना तुझसे कोई रुसवाई है,
ना जग से आस लगाई है।
किस्मत ने तेरी सांसों को,
मेरे दिल में जा बसाई है।।
धड़कते दिल तू सुन ज़रा,
सतर्क तत्काल हो जाना।
जब क़ब्र में सो जाए वो,
तभी तू बे दम हो जाना।।
स्वरचित मौलिक रचना
रचनाकार - राकेश सक्सेना, बून्दी