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दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा -१,संस्मरण - Yogendra Mani (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा -१,संस्मरण

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दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा —(1)
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बड़ा बेटा और बहू तीन साल बाद स्वदेश छुट्टी पर आये तो पहले दोनों स्वयं के वर्क फ्रॉम होम में और फिर पारिवारिक शादियों में । फिर भी दोनों बेटों और पुत्रवधूओं के साथ लगभग एक सप्ताह पहली बार साथ रहे ।अब बड़ा बेटा -बहु वापस विदेश जाने के लिए तैयार हैं तो उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने का विचार आया तो बेटे ने एक नया प्लान सामने रख दिया,दार्जिलिंग और गैंगटोक का ।उसका कहना था कि अब दिल्ली तक आ ही रहे हो तो वहीं से कहीं घूमने निकल जाना । हालाँकि श्रीमती जी तैयार नहीं थी फिर भी उसने छ दिन का एक टूर पैकेज दार्जिलिंग और गैंगटोक का बुक करा ही दिया ।
18 /12/2022 की रात्रि 00:15 बजे के लगभग बेटे के USA रवानगी के बाद प्रातः लगभग 6:45 am पर हम भी एयरपोर्ट के लिये रवाना हो गये। सात बजे ही एयरपोर्ट पहुँच गये थे । जिससे आराम से वहाँ की सभी फ़ॉर्मलिटी पूरी कर ली । फ्लाइट सही समय पर रवाना हो गई थी लेकिन बगाड़ोगरा लगभग आधा घंटा पहले ही पहुँच गई थी ।
हम अपना सामान लेकर जैसे ही गेट तक पहुँचे तो सामने ही श्रीमती जी के नाम का बैनर लिये एक व्यक्ति तैयार खड़ा मिला । जिस पर लिख था WELCOME PRABHA KAUSHIK , अच्छा लगा कि कोई हमारे भी स्वागत के लिए खड़ा है । पास पहुँचने पर हमारे ट्रांसपोर्ट मैनेजर अमरनाथ गुप्ता ने अपना परिचय देते हुए स्वागत किया और हमारा सामान बुक कार तक पहुँचाने की व्यवस्था की और आगे का टूर समझाया । उन्होंने बताया कि रास्ते में ब्रेकफास्ट कि व्यवस्था है । उसके बाद दार्जिलिंग के लिये रवाना होंगे ।
पार्किंग में कार तक पहुँचने पर ड्राइवर से परिचय हुआ । जिसका नाम पेंज़ो है । उसने बताया कि वह नेपाल का रहने वाला है और अब यहीं , दार्जिलिंग से 15 km पहले ही उसका गाँव है ।रास्ते में बताये गए होटल में नाश्ते के लिए हम पहुँचे ।लेकिन हमने वहाँ से नाश्ता पैक करा लिया ताकि दार्जिलिंग समय से पहुँच जायें।
अब दार्जिलिंग की तरफ़ हम रवाना हो चुके थे ।टेढ़ी मेढ़ी घुमावदार सड़क धीरे धीरे ऊँचाई की और बढ़ रही थी । बीच बीच में सड़क की चौड़ाई काफ़ी कम थी । लेकिन यहाँ के ड्राइवर काफ़ी निपुणता से गाड़ी निकाल लेते हैं। रास्ते में हरियाली और पहाड़ियों का आनंद लेते हुए हम लगभग साढ़े तीन बजे होटल पहुँच गये थे ।
हमारे टूर मैनेजर ने बताया था की आज आप आराम करेंगे और सुबह चार बजे से दार्जिंग भ्रमण शुरू होगा । ड्राइवर ने भी एक बार फिर दूसरे दिन का प्रोग्राम बताते हुए कहा कि मैं सुबह चार बजे तैयार मिलूँगा । टाइगर हिल जाएँगे वहाँ सूर्योदय देखेंगे फिर आगे बढ़ेंगे ।
यहाँ शाम को लगभग साढ़े चार बजे बाज़ार में निकले और दार्जिलिंग के रेलवे स्टेशन पहुँच गए । बड़ा ही खूबसूरत छोटा सा स्टेशन था । क्योंकि यहाँ पर ट्रेन भी छोटी सी ही चलती है जिसे टॉय ट्रेन कहते है । यहाँ से जलपाइगुड़ी तक । एक ट्रेन केवल घूम स्टेशन तक जाकर दो घटें में वापस आ जाती है । यहाँ आते समय छोटी से रेल की पटरी सड़क के साथ साथ चल रही थी । स्टेशन पर पहुँचते ही दो डिब्बे वाली एक के बाद एक , दो ट्रेन आई । एक स्टीम इंजिन की तो दूसरी डीज़ल इंजन की थी ।
थोड़ी देर बाद ही अंधेरा होने लगा और पाँच बजते बजते तो जैसे रात ही हो गई थी। दूर ऊँची नीची पहाड़ियाँ अंधेरे में डूबने पर बल्ब की रोशनी से लग रही थी जैसे तारे ज़मी पर उतर रहे हों।हम भी थोड़ा बाज़ार में घूमे कुछ खाने की तलाश की तो शाकाहारी भोजन की तलाश करनी पड़ी। क्योंकि हर जगह वेज और नोन वेज़ दोनों साथ साथ था । लेकिन पास ही रिंक मॉल में हल्दी राम काशुद्ध वेज़ भोजन मिल ही गया । आकर लगभग साढ़े सात बजे तक मैं तो सो ही गया ।

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