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वक्त - poorvi jain (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

वक्त

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वक्त भी कितना अजीब होता है,
जिसके पास नहीं है वह भी रोता है,
जिसके पास है वह भी रोता है,
जिसके पास नहीं है उसका बचता नहीं है ,
जिसके पास है उसका कटता नहीं है,
वक्त जहां से ही जाता है,
हर किसी को कुछ ना कुछ दे जाता है
किसी को सबक तो ,
किसी को पछतावा रह जाता है।

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