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मत छेड़ मुझे - Divyanshu Raj (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मत छेड़ मुझे

  • 31
  • 4 Min Read

शीर्षक : मत छेड़ मुझे
कवि : दिव्यांशु राज

मत छेड़ मुझे
मैं ना सह पाऊंगी
जो उठाया नजर मेरी जिस्मों की तरफ
तो जान भी तेरी ले लूंगी ।
हूं नहीं मैं वो लड़की
जो तुझसे डर जाऊंगी
मुझे प्यारा है अपना सम्मान
इसे कभी ना बीकने दूंगी ।
मत छेड़ मुझे
मैं ना सह पाऊंगी
जो उठाया हाथ मेरे सम्मान पर
वो हाथ ना रहने दूंगी ।
देख ना मुझे बुरी नजर से
वरना तेरी आंखें नोच लूंगी
जो भी है पहचान तेरा
वह सब मैं छीन लूंगी ।
मत छेड़ मुझे
मैं ना सह पाऊंगी
दूंगी ना अब मैं अपने प्राण
बस तेरे प्राण ले लूंगी ।
जो उठाया नजर मेरी जिस्मों की तरफ
तो मैं ना तुझको छोड़ूगी
मैं जान भी तेरी ले लूंगी
पहचान भी तेरी ले लूंगी ।

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