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कभी नहीं आते - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कभी नहीं आते

  • 133
  • 4 Min Read

विषय,,,ज़िन्दगी
प्रतियोगिता हेतु
गीत,,,ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र,,,
कभी नहीं जाते

वो बीते लम्हें,सुनहरी यादें
घुल गई ज़िन्दगी में ज्यों मीठी
महक ।
आती जाती हैं रह रह के मेरे जेहन ।
बुलाओ चाहे उन्हें,
वो फ़िर नहीं आते,,,,,
बचपन का सपना वो,
माँ का आँचल वो,
प्यारे बाबा का माथे पे
सहलाना वो ।
भुला ना पाती मैं मुस्काता वो आँगन ।
लाख चाहो उन्हें,
वो फिर नहीं आते,,,,,,
पीपल का झूला वो,
सावन के उत्सव वो,
संग सखियों के साथ की,
वो गुफ़्तगू ।
सजते रहते हैं ख़्वाबों में
मेरे हर पहर ।
कितना भी चाहो उन्हें,
वो फिर नहीं आते,,,,,
गाँव का पनघट वो,
नदी का किनारा वो,
ककड़ी भुट्टों की अलबेली
वो दावतें ।
ढूंढती रह जाती हर पल वो
मक़ाम।
यादों से निकल के,
कभी नहीं जाते,,,,
सरला मेहता

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बहुत सुंदर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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माँ
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