कविताअतुकांत कविता
विषय,,,ज़िन्दगी
प्रतियोगिता हेतु
गीत,,,ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र,,,
कभी नहीं जाते
वो बीते लम्हें,सुनहरी यादें
घुल गई ज़िन्दगी में ज्यों मीठी
महक ।
आती जाती हैं रह रह के मेरे जेहन ।
बुलाओ चाहे उन्हें,
वो फ़िर नहीं आते,,,,,
बचपन का सपना वो,
माँ का आँचल वो,
प्यारे बाबा का माथे पे
सहलाना वो ।
भुला ना पाती मैं मुस्काता वो आँगन ।
लाख चाहो उन्हें,
वो फिर नहीं आते,,,,,,
पीपल का झूला वो,
सावन के उत्सव वो,
संग सखियों के साथ की,
वो गुफ़्तगू ।
सजते रहते हैं ख़्वाबों में
मेरे हर पहर ।
कितना भी चाहो उन्हें,
वो फिर नहीं आते,,,,,
गाँव का पनघट वो,
नदी का किनारा वो,
ककड़ी भुट्टों की अलबेली
वो दावतें ।
ढूंढती रह जाती हर पल वो
मक़ाम।
यादों से निकल के,
कभी नहीं जाते,,,,
सरला मेहता