कवितागजल
विषय - आहट
विधा #गजल
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हुस्न की आहट से लहरे यूं ना उठाया कर,
तुम स्वप्न भरी ख्वाब में यूं ना जगाया कर।
कई रात बाद ख्वाब आया हैं मेरे दिल को,
ख्वाब बनकर मेरे नींद को ना चुराया कर।
दर्द होता है जाने की आहट से यूं दिल को,
तुम मेरे ख्वाबों में आकर यूं ना जाया कर।
बहुत चोट लगा है मेरे इस मासूम दिल को,
तोड़ कर मेरे ख्वाब को यूं ना तड़पाया कर।
बहुत सताया तूने मेरे इस दर्द भरे दिल को,
तु अधुरे ख्वाब को तोड़ कर ना जाया कर।
व्याकुल रहा हूं तेरी आहट दिल में सुनने को,
यूं व्याकुल दिल को छोड़ कर ना जाया कर।
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@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
सिहोडीह, गिरिडीह (झारखण्ड)