कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
"मीनी मीनी कहां हैं तू" -अपने बेडरूम से चाची ने आवाज लगाई।
"चाची मैं खाना खा रही हूं, कहते हुए मीनी चाची के कमरे के दरवाजे के पास आकर बोली - कोई काम है क्या"?
"हां खाना खाले फिर सारे बर्तन धो देना, उसके बाद कुछ सोनू और रीया के कपड़े हैं उसे धो देना। उसके बाद अम्मा का रूम अच्छे से फिनाइल डालकर साफ कर देना, बस इतना ही काम है"। - चाची ने कहा।
"मीनी ने हां में सर हिलाया और वहां से चली गई"
"कहने को तो मीनी संयुक्त परिवार में रहती थी, चाचा -चाची, दादी, भाई- बहन सब थे। मीनी के पैदा होते ही उसकी मां चल बसी। पिता कुछ सालों बाद एक रोड एक्सीडेंट में चल बसें। मीनी घर में ना हो तो घर का कोई काम नहीं होता था। मीनी की दादी अब काफी बूढ़ी हो चुकी थी तो रात - बिरात मल-मूत्र अपने रूम में ही करती, जिसे मीनी सुबह नहीं तो स्कूल से आने के बाद साफ करती फिर भी वह मीनी को पसंद नहीं करती थी। घर में काम तो बहुत था लेकिन मीनी के रहते नौकरानी की जरूरत नहीं थी।आज छुट्टी का दिन था तो चाची ने बहुत सारा काम( खाना अकेले ही बना दिया ) किया था। बेचारी थक गई तो सोने चली गई और जो बाकी छोटा-मोटा काम था वो ही मीनी को बता रही थी"।
"चाची ने मीनी पर एक अहसान किया था, पास के एक सरकारी स्कूल में उसका नामांकन क्या दिया था, जिसकी भरपाई वह सूद समेत मीनी से करवा लेती थी"। मीनी ने सब काम निबटा लिया और रात में तीनों बच्चे, सोनू, रीया और मीनी दादी के पास आकर बैठ गए और दादी से कहानी सुनते। ये रोज की दिनचर्या थी।
"मैं दादी के गोद में बैठुंगा- सोनू ने कहा। तो रिया लड़ गई नहीं मैं बैठुंगी क्योंकि दादी मुझे सबसे अधिक प्यार करती है, हैं ना दादी। रिया की बात बीच में काटते हुए सोनू ने कहा नहीं दादी सबसे अधिक मुझे प्यार करती है। तब ही तो, जब मैं पैदा हुआ तो आपने बहुत बड़ा भोज दिया था और मेरे लिए सोने की सिकड़ी बनवाई थी। हैं ना दादी। तभी रिया ने कहा जब मैं पैदा हुई थी तो दादी ने मीठे पानी का कुआं बनवाया था, और सारे गांव के लोगों ने कुऐ से मीठा शरबत पीया था।"
"तभी दादी ने सोनू को अपने गोद में बैठाते हुए कहा- मैं तो अपने सोनू को ही सबसे अधिक प्यार करती हूं, हमारे वंश को आगे सोनू ही बढ़ाएगा।" रिया मुंह बनाकर दादी के बगल में बैठ गई।
"मीनी सबकी बातें सुन रही थी, मीनी ने दादी से पूछा - दादी जब मैं पैदा हुई थी तब आपने क्या किया था"?
"तू तो पैदा ही मनहूस हुई थी, पैदा होते ही मां को खा गई, उस दिन न घर में खुशियां नहीं मातम मना था,कुछ सालों बाद बाप को भी खा गई। - दादी इतनी कड़वी बात एक सांस में कह गई।
"इसलिए आप मुझसे प्यार नहीं करती हैं"
'मीनी के नाजुक दिल पर बहुत बड़ा प्रहार था ये, वो अपनी मां के मरने का कारण स्वयं को मानने लगी और गुमसुम रहने लगी'।
"स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गई, मीनी के दोनों भाई बहन, चाची के साथ हमेशा अपने ननिहाल चलें जाते थे, लेकिन मीनी के मासी के लाख बुलाने पर भी चाची उसे जाने नहीं देती। क्योंकि चाचा, दादी की देख-रेख, खाना -पीना कौन करेगा? लेकिन इस बार मीनी की मासी स्वयं वहां आकर मीनी को ले गई।"
"चाची कहां मानने वाली थी पति से लड़कर वो भी मायके जाने की जिद्द करने लगी। दूसरे दिन मीनी के चाचा अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर उनके ननिहाल चलें गये, ससुराल जाने के बाद वहां सबने जमाई को भी दो दिन के लिए रोक लिया, उनके मना करने पर जमुना ( मीनी की चाची) ने कहा-यह अरे आपको अम्मा की फिक्र है ना, एक - दो दिन वो कुछ जुगाड़ कर लेंगी। मैंने रामू से कह दिया है, उनकी देखभाल के लिए।"
"मायके से वापस लौटने के बाद जमुना अपने बच्चों में लगी रहती और रामू से अम्मा के लिए खाना भिजवा देती, न कभी खुद जाती उनको देखने और ना बच्चें जाते। एक दिन दादी ने कहा भी सोनू बेटा आओ मेरे पास, तो सोनू ने जवाब में कहा- दादी आपके कमरे से बास आती हैं।"
"आज दादी को मीनी की याद आ रही थी, जो रोज उनके कमरें को साफ करती, उनकेे पीने के लिए पानी रखती, खाना खिलाती। आज जब रामू दरवाजे पर खाना रखकर गया तो कमला देवी फूट-फूट कर रोने लगी और रामू से कहा - एक बार मेरी बात मीनी से करवा दे।"
"रामू ने फोन लगाया तो कमला देवी ने कहा - मुझे माफ कर दे मेरी बच्ची, तेरे बिना मेरा इस दुनिया में कोई नहीं हैं। जल्दी आ जा तेरी दादी तुझे बुला रही हैं।"
"दूसरे दिन सुबह ही मीनी वापस आ गई, दादी ने पहली बार उसे इतने प्यार से गले लगाया तो वो गद- गद हो गई।" जैसे वर्षों बाद कोई अपना मिल गया।