कवितागजल
क्यों मेरे लब ख़ामोश हैं?
क्यों दिल में मचा है शोर?
ये सूखे मेरे होंठ क्यों है?
क्यों तूंफा है चारो ओर?
क्यों मन को कुछ भाता नहीं?
कोई अपना नज़र आता नहीं।
क्यों काले बादल छाए हैं?
क्यों बन के सजा सब आए हैं?
क्यों सूरज ढलता जा रहा,
सब ओझल होता जा रहा।
क्यों सीने में है आग लगी,
क्यों हृदय मेरा कांप रहा।
मैं तन्हा क्यों परेशान हूं?
मैं जिंदा हूं, बेजान हूं।