कहानीप्रेरणादायक
पाप और पुण्य
कुन्नू की अपने दादू से खूब पटती है।यूँ कहिए पक्की दोस्ती।हो भी क्यूँ नहीं,मम्मा पापा के ऑफिस जाने के बाद एक वही तो हैं।स्कूल बस तक छोड़ना लाना,साथ साथ खाना और खूब बातें चटकाना।
दादू किसी न किसी बहानें सीखें देने में पीछे नहीं रहते।
सबको सम्मान देना,समय से काम पूरा करना,लाचारों की मदद आदि। "झूठ मत बोलो"
स्लोगन तो उसकी पढ़ाई वाली मेज़ पर रखा ही था।
खेलते समय जब भी कुत्ते पकड़ने वाली गाड़ी आती ,बच्चे बता देते कि कुत्तों का झुण्ड किधर गया है।किन्नू बड़ा दुखी हो जाता,सोचता,
"नहीं बताएंगे तो झूठे ही कहलाएंगे।"लेकिन वह मासूम मूक जानवरों की जान बचाना चाहता है।अपने सब दोस्तों को कहता है," चाहे झूठ बोलकर पाप लगे,हम कुत्तों की जान बचाएंगे।"और अब सब बच्चे कुत्तों की जान बचाने लगे।
गुमसुम बैठे कुन्नू से दादू उदासी का कारण पूछते हैं।कुन्नू बताता है,"दादू , हमने झूठ बोलकर पाप किया है।अब भगवान जी हम बच्चों को माफ़ नहीँ करेंगे।"दादू पूरा किस्सा सुन समझाते हैं,
"बेटू , अच्छे काम के लिए बोला गया झूठ पाप नहीं होता।वह पुण्य बन जाता है।"
कुन्नू अब संतुष्ट हो जाता है।
सरला मेहता