कवितालयबद्ध कविता
जब मैंने तुझे पाया ही नहीं खोने का दर्द क्यूं होता है
मुफ्त में मिलने वाली मोहब्बत को कैसा पाकर खोना था ।
मैं उसका कभी था ही नहीं तो फिर किस बात का रोना था ।।
शायद मजबूरी ही शामिल थी उसकी तबीयत बदलने में
मेरा क्या है वो आबाद रहे
मुझे तो अब यूं ही मज़ा आता है तन्हा गुजरने में ।।