कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
"भ्रम" ... 🍁🍁
"देखिए ब्रजेश बाबू ऐसा है। आई,आईटियन है मेरा बेटा आप मुझे बस सात लाख कैश और एक स्विफ्ट डिजाएर दे दें ,
फिर आप जब चाहे जहाँ कहें हम बारात ले कर आ जाएगें "
ब्रजेश जी चुपचाप सुन लिए।
तभी बिटवा की अम्मा ,
" क्या कह रहे हैं आप ...? बारातियों का स्वागत कम से कम फोर स्टार में होना चाहिए "
ब्रजेश जी की आंखें चौड़ी हो गईं...।
फिर फोन पर बिटवा,
"ममा कम्प्लेक्शन के बारे में पता तो कर लिया है अच्छे से "
हाथ जोड़ कर ब्रजेश जी ,
"माफ करेंगे!
भ्रम वश आ गया ,
सरस्वती एवं अन्नपूर्णा स्वरूपा है मेरी बिटिया लक्ष्मी वह स्वंय अर्जित कर लेगी"।
स्वरचित /सीमा वर्मा