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"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ... 5 🍁🍁 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेम कहानियाँ

"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ... 5 🍁🍁

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#शीर्षक
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटी फुल " ... 5 🍁🍁

शाम का वक्त राजी सुमित के स्कूटर पर पीछे बैठ गई है।
अब आगे...
अब किसी को ट्राई करना है तो नजदीक तो जाना पड़ेगा यह सोचती हुई राजी ने सुमित को कंधो से पकड़ कर झिझकती हुई बैठ तो गयी है।

आज सुबह ही तो अनुभा उसे समझाती हुई कह रही थी,
'देख राजी , सिनेमा में ऐसा ही तो होता है '
'कैसा ?'
' हिरोइन को एक बार हीरो से अकेले में मिलने की विश होती है।
' पर एक बार मिलने से क्या होता है ? '
'सब होगा। एक बार मिलने से अरमान जागेगें, दो बार मिल कर हवा मिलेगी और तीसरी बार ' कह कर दोनों हँस दी थीं '
फिर राजी ही चुप नहीं रह रह पाई थी। 'तीसरी बार में अरमान पूरे हो जाएगें'
कह कर जोर का ठहाका लगा दी ।

कहीं वही वक्त तो नहीं आ गया ?
राजी सारे रास्ते नाखून से स्कूटर की सीट खुरचती आई है।
कैसे शुरुआत करे ?
किस प्रकार सुमित के मन को भांपे ?
तब तक उसका घर आ गया।
सुमित ने स्कूटर रोक दी है कुछ क्षण रुका रहा फिर बोला,
पूरी भीग चुकी हो , अभी घर जाओ फिर मिलेगें बोलते हुए उसे किताब पकड़ा दी थी ,
'इसे पढ़ लेना '
राजी ने नोटिस किया सुमित ने कितनी दफा़ नजरें चुरा कर उसे देखा है।
उसका दिल भागने लगा।
कुछ ऐसा था नहीं उन दोनों के बीच, लेकिन शायद कुछ ऐसा था जो राजी और सुमित के बीच लगाव भरी असहजता पैदा कर रहा है।

राजी के हाथ- पैर ढ़ीले हो गये पेट में गुड़गुड़ होने लगी बिना कुछ कहे बैग उठा कर चल दी थी।

अचानक जया ने करवट बदली इसके साथ ही राजी भूतकाल से सीधी वर्तमान में चली गईं उसका मन अभी भी पत्र की ओर ही बार-बार जा रहा है।

वह दबे पाँव उठी और बैग को खोल कर थरथराते हांथों से पत्र निकाल कर पढ़ने लगी है।
क्या नहीं है उसमें , जन्म-जन्मांतर का अटूट बंधन, रात-रात भर जाग कर कर इंतजार करने के इज़हार के साथ आरजू, चाहतें और मिन्नतें जैसे न जाने कैसे-कैसे शब्दों से भरा हुआ पत्र।

पत्र पढ़तेपढ़ते राजी रोने को हो आई
विचारों के भंवर में वह इस कदर डूब गई कि रात कब की बीत गई उसे पता ही नहीं चला।

सुबह के साढ़े पाँच बज गये हैं।
इधर कान में अजान की आवाज पड़ी , और उधर घड़ी में अलार्म बजा दिया है।
वह कसमसाई सी सीधी बाथरूम में घुसने वाली ही है।

कि जया की नींद खुल गई ,
' क्या हुआ राजी इतनी सुबह नहाने चल दी तबियत तो ठीक है तेरी ?'
हाँ दी , पर उसका दिल जोरों से धड़क रहा है।
सात बजे तक वह अच्छे से तैयार हो कर बस स्टॉप पर अनुभा का इंतजार कर रही है।
फिलहाल इस वक्त उम्र की पटरी पर बेपरवाह सी दौड़ती उसके दिल की गाड़ी राजी को कहाँ लिए जा रही है इससे पूर्णतः वह अनभिज्ञ है।

क्रमशः

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दादी की परी
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