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# शीर्षक
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल
... ४ 🍁🍁
फिर सावधानी से उसने कमरे के टेबल पर रखे अपने बैग में से एक लिफाफा निकाला।
गुलाबी रंग का सुंदर, सुगंधित लिफाफा जिस पर लाल रंग से बड़ा सा दिल बना हुआ है।
उसने लिफाफे को अपनी तीखी खड़ी नाक से लगा कर बहुत देर तक उसकी खुशबू में खोई रही। उस पर रेड स्केच से लिखा था,
' टू, यू ' नीचे
'फ्रौम मी ' यह देख कर राजी मुस्कुरा दी
उसके बीच में उसने 'स्पेशल ' लिखा देख कर लिफाफे को गालों से सटा लिया है।
उसके दिमाग के तार झनझना गये।
एवं अपने दिल का शॉर्ट शर्किट फ्यूज होता सा लगा।
तब तक जया बाहर के काम निपटा कर कमरे में आ चुकी है,
' ओ राजी, तू अभी तक सोई नहीं है '
झेंपती हुई राजी जया के साथ सोने के लिए पलंग पर आ गई।
और रात को चौकीदार के डंडे की टक-टक के बीच दोनों बहनें धीरे-धीरे बातें करने लगी।
शाम वाली बात पर दोनों की हँसी छूट रही है।
थोड़ी देर बाद जया तो सो गयी पर राजी की आंखों में नींद कहाँ?
उसका ध्यान अभी भी उसी गुलाबी लिफाफे पर अटका हुआ है। जो उसके बैग में उसकी तमाम तरह की मासूम अरमानों को अपने में समेटे किताबों के बीच में दबा पड़ा है।
उसकी आंखों के सामने 'सुमित' जो उसकी रोड के ही अंतिम छोर पर बने आलीशान मकान की दुछत्ती में बतौर किराएदार बनकर पिछले साल ही रहने आया है का मुस्कुराता हुआ चेहरा गड्डमड् हो रहा है।
पच्चीस साल का 'सुमित' गोरा लम्बे कद , पौरुष से दमकता चेहरा ५.९ इंच की ऊंचाई का आकर्षक सजीला युवक है। वह वाचाल तार्किक और बुद्धिमान व्यक्तित्व का मालिक है।
बेहद मीठी जुवान में बोले तो,
जैसे किसी कुंजगली में फूलों की चाह में भंवरे जैसी गुनगुन करती तलाश जैसी लगे।
वह अपनी जिंदगी खुशी से अपने मुताबिक जी रहा था।
लेकिन जब से राजी ने उसकी सुप्त इच्छाओं में सुलगती आग का पलीता लगाया है। उसकी तमाम सोच बस राजी के इर्दगिर्द ही घूमती रहती है।
और क्यों ना घूमें जब सारे दोस्त अपनी-अपनी गर्लफेंड के साथ घूम रहे हैं और आनंद उठा रहे हैं तब वह भी क्यों ना राजी को प्यार करने को उत्सुक हो ?
इधर राजी भी तो !
यों तो स्कूल जाते वक्त बस स्टॉप पर सुमित उसे अक्सर ही दिख जाता है।
लेकिन राजी को न जाने क्यों अक्सर यह खटका सा लगता है कि सुमित और उसके बीच कुछ ऐसा जरूर है जो 'खास ' है।
जब भी वह सुमित को देखती है उसकी नजरें उस पर से हटना ही नहीं चाहतीं।
और सुमित या तो उसे देख रहा होता है ना सिर्फ़ देख बल्कि नजरों -नजरों से पी भी रहा होता है।
से उसका पहला परिचय बहुत ही नाटकीय परिस्थितियों में हुई थी।
वो भयंकर शीतलहरियों के दिन थे शाम होने को आई है हल्की बूंदाबांदी भी शुरु हो चुकी है।
स्कूल में एक्स्ट्रा क्लासेज करने में उसे देर हो गयी है दिसंबर के महीने में पांच बजते ही अंधेरा होने लगता है।
अचानक,
'कहाँ जाना है आपको ?' तभी सुमित का स्कूटर उसके पास आ कर रुका था कि वह घबरा गयी थी । '
' आपको चिंचा न करें , मै चली जाउंगी ' तुरंत जबाव दे कर राजी ने बेरुखी दिखाई थी। '
'मैं चिंता नहीं कर रहा हूँ पर चारो तरफ देखते हुए ... अंधेरा हो रहा है तो.. इसलिए आपसे पूछा है।'
'आप चाहे तो मेरे साथ आ सकती हैं मुझसे घबराने की जरूरत नहीं है मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ आपको रोज देखता हूँ '
उसने अपना परिचय देते हुए कहा था '
राजी को ठंड लग रही थी।
बारिश भी आने वाली है और मुझे जल्दी घर पहुँचना है यही सोचती हुई कि ,
' ये महाशय तो मुझे बराबर निहारते रहे फिर मैं इनके आस्तित्व से अनभिज्ञ क्यों रहूँ'
लपक कर उसके पीछे स्कूटर पर बैठ गई।
क्रमशः