कहानीप्रेम कहानियाँ
अंक ... २ 🍁🍁
आज आपका परिचय राजी के साथ पढ़ने वाले अन्य दूसरे साथियों के साथ करवाती हूँ।
जिस कोचिंग इन्ट्सच्यूट में राजी और अनुभा मेडिकल की कोचिंग करने जाती हैं वहीं उनके साथ उनकी कॉलोनी के ही दूसरे घरों के बच्चे भी पढ़ते हैं जिनमें सबसे प्रमुख है।
हिमांशु एक ही कॉलोनी में रहने की वजह से हिमांशु राजी पर अपना एकाधिकार समझता है जब कि राजी के विषय में तो पहले बता ही चुकी हूँ आपको कि,
उसकी नाक पर हर वक्त गुस्सा बैठा रहता है और वो अपने आसपास भी किसी को फटकने नहीं देती है।
अब आगे...
उस दिन स्कूल से लौट कर राजी ने झटपट कपड़े बदल डाले। हाफ बाजू की नीले रंग शर्ट पर पीले रंग स्कर्ट कंधे तक कटे खुले बाल लहराते हुए कुल मिला कर सुंदर तो उसे नहीं कहेगें पर आला दर्जे की स्वीट और स्मार्ट बोल सकते हैं।
ममा के दिए स्नैक्स को आराम से स्वाद ले-लेकर खाती हुई मन ही मन इस वक्त किसी खयालों में डूबी हुई लग रही है।
बहरहाल... तैयार हो कर उसने अपने बैग फिर से उठा लिए और फटाफट सीढियां उतरती हुई अनुभा के आने का इंतजार कर रही है।
थोड़ी ही देर में उसने अनुभा को साथ पढ़ने वाले हिमांशु के साथ हँस-हँस कर बातें करती हुई आती देख कर नाक-भौं सिकोड़ लिए।
दरअसल हिमांशु अनुभा को बहुत पसंद है उसके साथ वह घंटो बातें कर सकती है। जबकि राजी को अनुभा को हिमांशु से बातें करती देख कर ही खीझ होती है।
उसने कितनी ही द़फा यह बात अनु से कही भी है लेकिन अनुभा धयान ही नहीं देती हे।
इधर हिमांशु मन ही मन राजी को पसंद करता है और अनुभा से बात करना तो उसके लिए महज राजी के करीब जाने भर का माध्यम है।
आज के ही वाकये को ही ले लें...
जैसे ही क्लास शुरू हुई हिमांशु ने अनुभा को एक छोटी सी खुशबू दार चिठ्ठी दी।
जिसे अनुभा ने राजी से छिपाती हुई अपने किताब में छिपा लिया।
उसे लगा कि यह सौगात उसके लिए है। लेकिन बाद में हिमांशु द्वारा यह कहे जाने पर कि चिठ्ठी राजी तक पहुँचा दे वह चौंक पड़ी,
'अच्छा तो वह चिठ्ठी राजी के लिए , अनुभा निराश सी बोली जबकि इन सब बातों से अनभिज्ञ राजी अपनी पढ़ाई में डूबी हुई थी।
लेकिन उन दोनों की लगातार चल रही खुसर-फुसर से उसका भी ध्यान उन दोनों की तरफ चला गया,
' क्या कर रही है अनुभा पढ़ाई में ध्यान लगा ना '
अब अनु ने वह चिठ्ठी निकाल कर राजी की नोटबुक पर रख दिया।
जिसे देख कर पहले तो राजी कुछ समझी नहीं ठर फिर बाद में खोल कर देखने पर एकदम से आग बबूला हो गई।
' यह चिठ्ठी देनें की इसकी हिम्मत कैसे हुई अभी सर को दिखाती हूँ और इसे मजा चखाती हूँ'
'बत्ततमीज कंही का '
उसके इस रुख को देख कर अनुभा बिल्कुल घबरा गयी।
लेकिन मन ही मन खुश होती हुई।
कि राजी का हिमांशु में कोई इन्ट्रेस्ट नहीं है उसे अपनी तरफ से शांत कराती हुई बोली ,
' प्लीज राजी ,शांत हो जा डियर अब वो ऐसा नहीं करेगा और तू भी सर को इसके बारे में कुछ नहीं बताएगी '
' अच्छा ठीक है पर तू क्यों परेशान हो रही है ?
उस सड़े हिमांशु के लिए , तेरा क्या वास्ता है उससे '
अनुभा शर्मा गयी , उसे नजरें छिपाती देख राजी ने उसकी चिकोटी काट ली ।
'अच्छा तभी मैडम जी इतनी खुसुर-फुसुर चलती रहती है आप दोनों में '
उधर हिमांशु सारे मामले को गलत राह में जाते देख कर भन्ना गया था।
क्लास खत्म होते ही उसने राजी का रास्ता रोक कर उसके हाथ पकड़ लिए।
जिसपर राजी हाथ झटक कर आगे बढ़ गई।
इसबार भी अनुभा ही बीच में पड़ी ,
'एक बार सुन तो ले वह क्या कह रहा है ? '
'तू सुन उसकी बातें मुझे ना चाह है ना इतना वक्त है मेरे पास ' कहती हुई सीधी चलती हुई घर पहुँच कर जया दीदी के पास आ गई और खूब चटखारे लेती हुई सारी बातें बताने लगी है।
जया और राजी का इस घटे वाकये पर हँसते-हँसते बुरा हाल है।
वैसे तो पन्द्रह साल की उम्र प्रेम,इश्क और आशिकी इन सब बातों के लिए बहुत कम भी नहीं है।
लेकिन फिर भी राजी अपने को इतनी बड़ी भी मानने को तैयार नहीं है।
' लेकिन उस चिठ्ठी में लिखा क्या था राजी ? '
'भाड़ में गयी वह चिठ्ठी , मैंने उसे पढ़ा कहाँ दीदी वंही फाड़ कर फेंक दिया था '
' मुझे उससे प्रेम तो क्या दोस्ती भी नहीं करनी '
जया यह सुन कर खुश हो गयी ,
' तो मेरी परवरिश काम आ रही मेरी लाढ़ो '
बस यहीं पर चूक गयी थी जया!
कैसे ? यह जानते हैं कल
🙏🙏