कवितालयबद्ध कविता
हर एक अमावस के सीने में
नयी सुबह की नयी वजह सा
खुशनुमा अहसास जगाओ
हर पतझड़ को मधुमास बनाओ
हर लमहे को इतिहास बनाओ
हर अवसर के बीज में
अंकुर बनकर छिपी
एक संभावना को
मन की हर एक पंखुड़ी पे
बूँद-बूँद सी ढलकी
सुंदर भावना को
हर जंगल के अंचल में
एक शुभ की मंगलकामना को
सपनों का एक मुठ्ठी भर आकाश बनाओ
हर लमहे को इतिहास बनाओ
हर कंकर में खोजो शंकर
महाकाल सा रुद्र भयंकर
लगे रूप अद्भुत अभयंकर
कालचक्र का एक-एक क्षण
धरती का कण-कण, तृण-तृण
बन जाये वंदन का चंदन
चैतन्यपूर्ण हो हर चिंतन
हर विषाद को एक प्रसाद कर
हर आम को कुछ खास बनाओ
हर लमहे को इतिहास बनाओ
हर मन में हो वृंदावन
हर धड़कन हो वीणा मनभावन
हर सुरधारा में एक राधा
हर नाद बने एक मनमोहन
हर आस बने एक उषाकिरण
और हो परास्त जड़ सम्मोहन
कुंठा के धूमिल चेहरे पर
बच्चे सा अल्हड़ झर-झर-झर
झरने सा झरता हास जगाओ
हर लमहे को इतिहास बनाओ
द्वारा: सुधीर अधीर