Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
होली के ये रंग - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

होली के ये रंग

  • 141
  • 8 Min Read

होली के ये रंग
हाँ, होली के ये रंग
भरें सच्चे अर्थों में
जीवन में नवरंग

आयें लेकर अपने संग
अंजुलि में समेटकर
महकते अहसासों के 
आँचल में लपेटकर
जीवन को धारा बनाती
अल्हड़, अलमस्त तरंग

बिखेर दे फागुन की
पूनम की शुभ्र चाँदनी,
इस भोर की पहली 
किरण सुहावनी
बना इस सुबह को 
मनभावनी
चहका दे हर आँगन की 
सूनी बगिया के अंग-अंग 
टेसू, गुलाल, अबीर के
अद्भुत रंगों के संग-संग

चीर दे मायूसी के
हर एक सन्नाटे को
ये होली का हुड़दंग
पल-पल, नित-नूतन, निरंतर
बढ़ती ही जाये ये उमंग

चुराकर इंद्रधनुष के रंग
सजा लें हर सुबह 
अद्भुत सी रंगोली ये
जीवन के आँगन में
मनमोहक, मनभावन से
रंग छिड़क दें, 
अहसासों की झोली से

मुठ्ठी भर-भरकर के यूँ
हर लमहे को मदहोश सा
कर-करके यूँ
जीवन की इन गलियों में
चहकते से फूलों से,
महकती सी कलियों से 
इधर-उधर यूँ
जिधर जहाँ तक दृष्टि पडे़
हर  ओर उधर यूँ

हर मोड़, हर पडा़व पे
जीवन की हर एक धूप,
हर एक छाँव में
बिखरी पडी़, छोटी-छोटी
खुशियों के पाँव से

जीवन की इस टेढी़-मेढी़
पगडंडी पर बढ़ लें हम
तोड़कर हर तनाव के
तटबंधों को
अतिमहत्वाकांक्षाओं के 
हाथों बरबस से लिखे
सभी अनुबंधों को

बनकर के उन्मुक्त 
ज्वार उमंगों के
कुछ पल यूँ
कुछ इस तरह
उमड़ लें हम

मन की मटकी में
सिमटे भावोदधि को
भरपूर आज घुमड़ लें हम

आनंद का नवनीत चख लें
हर पल को मनमीत कर लें
जितने भी लमहे सिमटे हैं
उम्र की इस डगर पर
उन सबको सीढी़ बना
उत्कर्ष-पथ पर चढ़ लें हम

जड़ता के बेरंग, बेनूर से
इस कटे-फटे से दामन में
प्रेम के धागे से सिल,
चैतन्य के अद्भुत, विलक्षण
रंग भर लें हम

द्वारा : सुधीर अधीर

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg