लयबद्ध कविता
मॉ का ऑचल क्या होता है
ये सुरक्षा कवच मेरा होता है
भीगने भी नही देता ठिठुरने भी नही देता
तेरे आंचल की छॉव में बैठ जाता हूँ
तो दुनिया के सारे गम भूल जाता हूँ
कितनी भी थकी हो मेरी मां
मेरे आने पर फिर उठ खड़ी होती है
खुद खाया हो न खाया हो
मुझे खिलाकर संतुष्ट होती है
माँ एक तू ही तो जिससे मेरी फ़िक्र होती है
तू होती है तो ये संसार रंगीन होता है
वरना तो ये सब कुछ विरना होता है
माँ तो माँ होती है
मुझे डॉट कर खुद रो देती है
माँ तो ऐसी होती है।