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आस में हूं - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

आस में हूं

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सबेरा होगा इस आस में हूं
नहीं कोई संदेह विश्वास में हूं

अंधेरों से घिरा रहा बेशक अब तक
उजालों के लेकिन बहुत पास में हूं

जिंदगी में रही मुश्किलें बहुत
मुश्किलों के बीच उल्लास में हूं

बंदिशों में रहा, गर्दिशों में रहा
अब जाकर मुक्त आकाश में हूं

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