Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
याद आती हो तुम ..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

याद आती हो तुम .....

  • 100
  • 3 Min Read

सुबह नहाकर खिड़की के करीब
बाल सुखाती
याद आती हो तुम .....

माथे पर सुर्ख बिंदी मांग में मेरे नाम का
सिंदूर लगाती
याद आती हो तुम .....

नित सांझ-सबेरे नियम से पूजन-अर्चन
घर को स्वर्ग बनाती
याद आती हो तुम.....

आफिस से लौटकर सोफे पर निढाल होते ही
पानी का गिलास थमाती
याद आती हो तुम .....

किसी समस्या में चिंता से घिर जाने पर
सब ठीक होगा समझाती
याद आती हो तुम....

उन दिनों कुछ पैसे बचाने मेरे साथ
पैदल चलती जाती
याद आती हो तुम.....

दे न सका सोने की अंगूठी, चांदी की पायल
कोई शिकायत नहीं जताती
याद आती हो तुम.....

मैं राम बन न सका फिर भी सीता बन
हर पल प्रेम लुटाती
याद आती हो तुम.....

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg