Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
लोग बदल जाते हैं - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

लोग बदल जाते हैं

  • 144
  • 2 Min Read

समय बदलता है तो लोग बदल जाते हैं
इंसान नहीं रहते वो मौसम नजर आते हैं

शिकवा-शिकायत कैसी जमाने का दस्तूर है
लहलहाते पेड़ के नीचे छांव ढूंढने जाते हैं

हैसियत जरा कम क्या हुई अपनी यारों
पल-पल औकात दिखाने दौड़े चले आते हैं

समय भी रहता नहीं एक जैसा हर कभी
बस यही बात अक्सर लोग भूल जाते हैं

01_1651831726.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg