कविताबाल कविता
चांद का खिलौना
आ बेटा तुझे आज़ मैं बाहों में झूला लूं
चांद का आज़ तुझे खिलौना दिला दूं मैं
आसमां में ये यों गोल मटोल चांद तुझे रिझाता हैं
मन ही मन में उसे पाने की ख्वाहिश सी जगाता है
पालने में सुला कर तुझे चांद तक लें जाऊं मैं
आ बेटा तुझे आज़ मैं बाहों में झूला लूं
चांद के आकार का खिलौना तेरे पालने से बांध कर
आ बेटा तेरे सिर से लाखों बलाएं उतारु मैं
ज़िद तेरी अच्छी हैं मेरे ओ लल्ला मुझे मेरी ममता
पर हंसने को कहती हैं
आ बेटा तुझे दिला दूं
चांद का खिलौना मैं
नाम-प्रभा इस्सर ✍️