कवितागजल
ऐ चांद ठहर जा
ऐ चांद ठहर जा
तुझे आंखों में तो भर लूं
तेरी जगमगाहट को
महसूस तो कर लूं
दिन भर की थकान को
ज़रा सा दूर तो कर लूं
ऐ चांद ठहर जा
तेरे रुबरु ख़ुद को
ज़रा सा महसूस तो कर लूं
रात के गलियारे से तेरी
रोशनी आंखों में तो भर लूं
ऐ चांद ठहर जा
तेरी जगमगाहट की रिदा को
ओढ़नी बना ओढ़ तो लूं
ऐ चांद ठहर जा
बड़ा दिलकश नज़ारा
ऐ चांद तेरा हैं
सुना हैं दाग़ तो तुझ
में भी ऐ चांद
अमावस्या की रात में भी बड़े पहरे ऐ चांद
ऐ चांद ठहर जा
तेरी रोशनी में अपनी मरकद बना कर बस चैन
से सो जाऊं
ऐ चांद ठहर जा
तुझे आंखों में तो भर लूं
रिदा -चादर
मरकद -कब्र
Prabha issar