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" पहला प्यार " 🍁🍁
अब मैं उन्नीस वर्ष की हो गई हूँ पर जब और भी छोटी थी तब एक बार दीदी को अपनी किसी दोस्त से बोलते हुए सुना था,
" प्रेमपत्र पाना खुदा की नेमतों जैसा है " फिलहाल तो मुझे यह व्हाट्सएप मेसेज पाना ही सबसे बड़ी नियामत लग रही है"
रोमा ने फिर से हथेलियों में छिपा कर मेसेज पढ़ा।
"थम्सअप के निशान के साथ बड़े से लाल गुलाब के गुलदस्ते के बीच पीले रंग की नटखट सी स्माइली...
" आज मेरा जन्मदिन है याद है ना तुम्हें? हम मिलने वाले हैं" अगला मेसेज...
"फिर पहले क्यों नहीं बताया "
"क्या फर्क पड़ता ?"
"ओ हाँ याद आया हम कौन सा एक दूसरे से प्यार करते हैं ?" ,
"पहचानते भी तो नहीं हैं " रोमा ने आगे पढ़ा,
"बस बहुत हो गये दूर रह कर इशारे अब तो आ जाओ तुम बांहों में हमारे"
अहा... बिना एक दूसरे को देखे और पहचाने ही... "
रोमा के होठों पर भी वैसी ही रंगीन मुस्कुराहट फैल गयी।
"हाँ यह भी सही कही तुमने " रोमा ने मेसेज सेंड कर थोड़ी देर स्क्रीन देखती रही। चेहरा सिकुड़ गया है उसका बहुत प्यारी लगती है वो इस तरह ,
"कहीं यह इकतरफा प्यार का दर्द तो नहीं? जिसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसे झेलता है... और रोमा इसे बखूबी महसूस कर पा रही है
दोपहर का समय यह वक्त ममा के आराम करने का होता है। बिना कोई वक्त गंवाये उसने छोटे से लाल एअर बैग को कंधे पर डाला और जा बैठी बोधगया जाने वाली बस की पिछली सीट पर।
बस चली तो उंगलियां फोन पर ...
पहला मेसेज...
" मुझे पता है तुम आ रही हो " रोमा चौंक उठी ,
"तुम देख पा रहे मुझे ? उधर से रंगीन स्माइली आ गई।
" अपनी सेल्फी सेंड करो पहचान के लिए "
रेड कलर की ड्रेस जिसपर खूबसूरत क्रीम कलर के फर वाली स्ट्रौल पहनी हुई रोमा ने झट से मुंह गोल सीटी बजाने के निराले अंदाज वाली सेल्फी ली और सेंड कर दी। उसका मन इस समय चंचल हो रहा है।
"होटैल बस स्टैंड के पास ही है "
बस की सीट पर बैठ रोमा ने एक और मेसेज मौम के नम्बर पर किया,
"सॉरी ममा आप सोई हुई थीं इसलिए तुम्हें डिस्टर्ब नहीं किया,
" थोड़ी देर के ही इन्फोर्मेशन पर एक फ्रेंड से मिलने बोधगया जा रही हूँ रात तक वापस लौट जाऊगीं "।
मेसेज डेलिवर हो जाने के बाद इत्मीनान से बैठ गई।
थोड़ी देर में ही बूंदाबांदी शुरु हो गई उसने दूसरी तरफ मेसेज सेंड कर दिया।
" हाँ तो अच्छा है ना हम उसी में तो भीगेगें मजा आएगा"
"इसमें या प्यार वाली बारिश में ?
शरारत वाली इमोजी के साथ तुरंत रिटर्न मैसेज आ गई।
मेसेज मिलने के थोड़ी देर बाद ही बस बोधगया पंहुच गयी।
शाम ढ़ल चुकी है अंधेरा घिरने को आया है।
तभी टुन्न... की आवाज से रोमा बेंच पर बैठ कर मेसेज देखने लगी ,
"मैं आ जाऊं तुम्हें लेने ? "
"नो,नो आई विल टेक केयर ऑफ माई सेल्फ "
"ओके विल सी यू आफ्टर ट्वेंटी मिनिट्स माई डियर"
रोमा हल्की बूंदाबांदी में ही बस स्टैंड से निकल सामने वाली सड़क पर चलने लगी। बसंत की मस्त हवाएं सीधी दिल पर दस्तक दे रही है। चलते-चलते वह दूर निकल आई । सामने ग्रीन पार्क के शेड्स नजर आने लगे हैं।
गेंदे और गुलाब की क्यारी से खुशबू निकलकर रोमा को बौराए दे रही है। वो शेड्स की ओर बढ़ी जहाँ उसने अपनी पीठ पर प्रणय की चुभती दृष्टि महसूस कर ठिठक गयी।
कनखियों से प्रणय को देखने की धुकधुकी, फिर मन में पकड़े जाने की आशंका और सबकी आंख में धूल झोंकने का अद्भुत रोमांच सब मिल कर रोमा में एक विचित्र अनुभूति का संचार कर रहे हैं।
अचानक उसकी नजरों की ज़द में पेड़ के नीचे बारिश में भींगते एक दूसरे से कस कर लिपटा आलिंगनबद्ध जोड़ा आ गया। उस जोड़े की नजर भी अपने को घूरती रोमा पर गयी वे बेतहाशा हँस रहे हैं।
जिसे देख कर रोमा बदहवास सी उल्टे पाँव भागने लगी ही लगी थी कि पीछे से आते प्रणय से टकरा कर गयी और गिरती-गिरती बची।
उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया।
कदम जहाँ थे वहीं गड़ गये।
देह में उपर से नीचे अजीब सी फुरफुरी भरी लहर समा गई। व्हाट्सएप मेसेज से शुरु हुई उनके संबध अब प्यार की मीठी मुलाकात में बदलने जा रही है । यह सोच कर ही रोमा और प्रणय की आंखें अनोखे राग से रँग गये हैं।
प्रणय ने आतुरता से पूछा ,
"मेरा गिफ्ट? "
रोमा की तन्द्रा टूटी वह बिल्कुल खामोश है ,
" बहुत शिद्दत से उसने अपने और प्रणय के मिलन की साक्षी उन पलों को हमेशा के लिए कैद करते हुए प्रणय के होठों को अपने कापंते होठों से इस तरह छुआ जैसे गुलाब की पंखुड़ी पर भोर में जमा हुए ओस को छू रही हो.. . "।
हल्की... हल्की ठंड और उसपर कोहरे का धुंधलापन सब मिल कर उन दोनों को हिला कर रख दे रहा है।
दिल जोर से धड़क रहा है। यह सब यकायक होने से दोनों अवश से हो गये हैं।
रोमा को जोरो की भूख भी लग आई है। वे दोनों स्टैंड के किनारे बने लाइन होटल की तरफ बढ़ गये हैं। जहाँ गर्मागर्म कचौरियां और जलेबी खा कर तृप्ति से आश्वस्त हो एक दूसरे को देख कर हँस दिए ।
ठंढी हवा का झोंका दोनों के बदन से टकराया उनके रोम-रोम झंकृत हो गये।
" चलो प्रणय हम तो मिल लिए। अब घर चलो तुम्हें ममा से मिलवाती हूँ "
हमारी इस दोस्ती की प्रेम में सफल परिणिति के लिए उनकी रजामंदी की मुहर लगनी आवश्यक है "
" जिसके लिए तुम्हारा उनसे मिलना जरूरी है "
"हाँ चलो आज ही "
वे समय का सिरा पकड़ कर आगे की राह एक साथ तय करने की सोच रहे हैं।
स्वलिखित / सीमा वर्मा
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